
UIDAI को 5 साल तक नहीं भरना पड़ेगा टैक्स – यह खबर जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही रणनीतिक भी। सरकार ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) को वित्त वर्ष 2027-28 तक आयकर से छूट प्रदान कर दी है। यह छूट सीधे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की ओर से अधिसूचना द्वारा जारी की गई है। इस फैसले के पीछे सरकार का डिजिटल इंडिया मिशन और नागरिकों को तेज, सुरक्षित और समावेशी पहचान प्रणाली देने की मंशा छिपी है।
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कौन-कौन सी आय को मिली छूट और किन शर्तों के साथ
इस पांच साल की आयकर छूट के तहत UIDAI को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय जैसे केंद्र सरकार से अनुदान-Grant, सब्सिडी, रजिस्ट्रेशन फीस, स्क्रैप और PVC कार्ड की बिक्री से प्राप्त राशि, आधार प्रमाणीकरण, नामांकन और अपडेट सेवाओं से जुड़ी फीस, साथ ही बैंक और टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स नहीं देना होगा।
हालांकि यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है, जैसे कि UIDAI किसी व्यावसायिक गतिविधि में संलग्न नहीं हो सकता और उसकी आय की प्रकृति इस अवधि में अपरिवर्तित रहनी चाहिए। यदि ये शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो यह छूट स्वतः समाप्त मानी जाएगी।
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UIDAI की भूमिका और सरकार की प्राथमिकताएं
UIDAI की स्थापना आधार अधिनियम, 2016 के तहत एक वैधानिक संस्था के रूप में हुई थी। इसका प्रमुख कार्य आधार प्रणाली को सुचारु, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। सरकार की नजर में UIDAI एक ऐसा आधार स्तंभ है, जो जन कल्याण योजनाओं से लेकर बैंकिंग, IPO निवेश, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक हर डिजिटल व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में इसे टैक्स से मुक्त करना, एक रणनीतिक निवेश जैसा है, जिससे इसकी सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होगा।
डिजिटल इंडिया और पहचान आधारित अर्थव्यवस्था का भविष्य
यह निर्णय Digital India के विजन को और मजबूत बनाता है, जिसमें डिजिटल पहचान, ई-गवर्नेंस और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सेक्टरों को पारदर्शिता और तकनीक के माध्यम से गति दी जा रही है। UIDAI को टैक्स छूट मिलना इस दिशा में सरकार की दीर्घकालिक सोच को दर्शाता है – कि टेक्नोलॉजी और पहचान आधारित समाधान देश की नई अर्थव्यवस्था का आधार होंगे।
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