Aadhar Card New Update: आधार कार्ड में जन्मतिथि और नाम बदलवाने की प्रक्रिया अब पहले जैसी सरल नहीं रही। यूनीक आईडेंटिटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे आवेदकों को कुछ कड़े प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पड़ रहे हैं। इन नए नियमों के अनुसार, जन्मतिथि संशोधन के लिए अब जन्म प्रमाणपत्र और हाईस्कूल की मार्कशीट आवश्यक कर दी गई है। इसके साथ ही, नाम में बदलाव के लिए भारत सरकार की गजट प्रक्रिया को अपनाना अनिवार्य किया गया है।
नाम और जन्मतिथि अपडेट के लिए नए नियम
UIDAI के नए नियमों के तहत, जन्मतिथि में संशोधन के लिए आवेदन करने वाले को दो महत्वपूर्ण दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे:
- जन्म प्रमाणपत्र
- हाईस्कूल की फोटो वाली मार्कशीट
जो लोग इन दस्तावेज़ों को प्रस्तुत नहीं कर सकते, उनके लिए यह प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो गई है। हाईस्कूल पास न करने वाले पुरुष और महिलाओं के लिए जन्म प्रमाणपत्र आवश्यक है। जिनके पास यह प्रमाणपत्र नहीं है, उन्हें पंचायत या ग्राम प्रधान के माध्यम से प्रमाणिकता साबित करनी होगी।
नाम में बदलाव के लिए अनिवार्य गजट प्रक्रिया
पूरा नाम बदलने के लिए UIDAI ने गजट प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब केवल स्थानीय स्तर के प्रमाणपत्र, जैसे ग्राम प्रधान या किसी सरकारी अधिकारी के पत्र, से काम नहीं चलेगा। गजट प्रक्रिया के तहत नाम बदलवाने के लिए एक वैध सरकारी नोटिफिकेशन की आवश्यकता होगी।
आधार सेवा केंद्रों पर इस बदलाव का सीधा असर देखा जा रहा है। कानपुर के आधार सेवा केंद्र के ऑपरेशन मैनेजर अजय कुमार ने बताया कि लगभग 60% संशोधन के आवेदन इन्हीं नई प्रक्रियाओं के तहत आ रहे हैं।
नाम और जन्मतिथि में केवल दो बार बदलाव
UIDAI ने नाम और जन्मतिथि में बदलाव के अवसर भी सीमित कर दिए हैं। अब आवेदकों को केवल दो बार संशोधन का मौका मिलेगा। यह कदम उन लोगों को ध्यान में रखकर उठाया गया है, जो बार-बार अपनी जानकारी में बदलाव करते थे, जिससे डेटा की प्रामाणिकता पर सवाल उठते थे।
सरकार ने पाया कि निजी कंपनियों द्वारा शुरुआती दिनों में आधार डेटा दर्ज करते समय कई गलतियां की गईं। कई लोगों के नाम, पते और जन्मतिथि गलत दर्ज कर दी गई थी। इसके बाद, सरकारी योजनाओं और अन्य सेवाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के बाद, यह समस्याएं उजागर हुईं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक समस्याएं
ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और गंभीर हो गई है। शुरुआती दिनों में आधार कार्ड बनाने के दौरान कई लोगों के पते गलत दर्ज किए गए थे। अब, जब आधार बैंक खातों, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, और सरकारी योजनाओं से लिंक हो गया है, तो लोग इन गलतियों को ठीक करवाने के लिए आधार सेवा केंद्रों पर जा रहे हैं।
हाईस्कूल पास न करने वाले लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, के लिए जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में समस्या हो रही है। इसके समाधान के लिए ग्राम प्रधान के लेटरपैड पर प्रमाणिकता, पड़ोसियों से पूछताछ, और हलफनामा की प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है।
मेडिकल प्रमाणपत्र भी आवश्यक
कुछ विशेष मामलों में, आवेदकों को डॉक्टर के प्रमाणपत्र की भी आवश्यकता हो सकती है। किसी एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा जारी पर्चे पर उम्र की प्रमाणिकता कराने के बाद ही इसे आधार कार्यालय में जमा करना होगा। इसके साथ ही माता-पिता के आधार कार्ड की भी प्रतियां प्रस्तुत करनी होंगी।
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आवेदकों की बढ़ती परेशानी
इन नए नियमों के कारण, आवेदकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में, जहां सरकारी दस्तावेजों की उपलब्धता सीमित है, लोग नए प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।
नए नियमों के पीछे UIDAI का उद्देश्य आधार डेटा की सुरक्षा और प्रामाणिकता को बढ़ाना है। हालांकि, इससे आम लोगों की समस्याएं भी बढ़ गई हैं, क्योंकि संशोधन प्रक्रिया में पहले की तुलना में अधिक समय और प्रयास लग रहा है।
सरकार का उद्देश्य
UIDAI के इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आधार कार्ड में दर्ज जानकारी पूरी तरह सही और प्रमाणिक हो। इस कदम से फर्जीवाड़े की संभावना कम हो जाएगी और सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचेगा। हालांकि, आवेदकों को अब पहले से अधिक सटीक और सत्यापित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी।
आधार कार्ड की बढ़ती महत्ता को देखते हुए, इन नियमों का पालन करना अब सभी के लिए अनिवार्य हो गया है। यह बदलाव दीर्घकालिक रूप से देश की पहचान प्रणाली को मजबूत बनाएंगे, लेकिन फिलहाल, आवेदकों को इस नई प्रक्रिया के लिए धैर्य और तैयारी की आवश्यकता होगी।