उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रमाण के तौर पर स्वीकार न करने का बड़ा फैसला लिया है। अब से आधार कार्ड को केवल पहचान प्रमाण के रूप में ही माना जाएगा, जबकि जन्मतिथि के लिए वैध दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल रिकॉर्ड को प्राथमिकता दी जाएगी। इस नए नियम का मकसद पहचान और दस्तावेजों की पुष्टि को अधिक विश्वसनीय बनाना है।

आधार कार्ड और जन्मतिथि प्रमाणन बदलाव
आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि कर्मचारी या उपयोगकर्ता द्वारा दी गई जानकारी होती है, जिसे कोई आधिकारिक दस्तावेज के आधार पर सत्यापित नहीं किया जाता। इसके चलते सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसे जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके स्थान पर जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल का रिकॉर्ड या शिक्षा संस्थान द्वारा जारी दस्तावेज ही जन्मतिथि के वैध प्रमाण माने जाएंगे। यह कदम दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था।
यूपी सरकार का यह आदेश कैसे प्रभावित करेगा आम जनता को?
सरकारी प्रक्रियाओं जैसे नौकरी के आवेदन, पेंशन, छात्रवृत्ति, सेवा या अन्य आधिकारिक कार्यों में अब आधार कार्ड जन्मतिथि प्रमाण के रूप में काम नहीं आएगा। इससे जिन लोगों ने केवल आधार कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया था, उन्हें वैध जन्मतिथि प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त करने होंगे। इससे शुरुआत में कुछ असुविधाएं हो सकती हैं, लेकिन लम्बे समय में यह पहचान प्रक्रिया को मजबूत करेगा।
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SIR अपडेट के तहत दस्तावेज सत्यापन की मजबूती
उत्तर प्रदेश में विशेष संपूर्ण संशोधन प्रक्रिया (SIR) के दौरान सरकार ने जन्मतिथि दस्तावेजों को लेकर नए सख्त नियम बनाए हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य नागरिकों के पहचान और जन्मतिथि के रिकॉर्ड को साफ-सुथरा और प्रतिबद्ध बनाना है। ऐसे में आधार कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण के रूप में मान्यता न देना डिजिटल पहचान प्रणाली की विश्वसनीयता पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
आगे के लिए क्या करें?
लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने जन्मतिथि के वैध प्रमाण पत्र, जैसे जन्म प्रमाण पत्र या शिक्षा संस्थान के रिकॉर्ड, को सुरक्षित रखें और सरकारी कामकाज में इन दस्तावेजों का ही उपयोग करें। आधार कार्ड को पहचान के अन्य उद्देश्यों के लिए जरूर मेंटेन रखें, लेकिन अब जन्मतिथि के लिए इसे आधार नहीं मानना होगा। यह बदलाव पहचान को और अधिक मजबूत और भरोसेमंद बनाएगा।


