मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड को आयु का प्रमाण नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने बताया कि आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र है, आयु प्रमाण-पत्र नहीं। यह फैसला न्यायमूर्ति जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ द्वारा सुनाया गया, जिससे अब यह निर्देश सभी सरकारी संस्थाओं और अधिकारियों के लिए जरूरी बन गया है।
पहचान के लिए आधार, आयु के लिए नहीं
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि इस आदेश की जानकारी सभी जिला कलेक्टरों तक पहुंचाई जाए और उनसे आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया जाए। अदालत के अनुसार, आधार कार्ड का मुख्य उद्देश्य पहचान प्रमाण के रूप में काम करना है, न कि जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में। इसके अनुसार, सरकारी योजनाओं में आयु के सत्यापन के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
उम्र सत्यापन के लिए दसवीं का सर्टिफिकेट मान्य
अदालत ने साफ किया कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि को आयु सत्यापन के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उम्र के प्रमाण के रूप में दसवीं कक्षा का सर्टिफिकेट या अन्य मान्य दस्तावेज़ उपयोग किए जाने चाहिए। इस आदेश के साथ, अदालत ने एक नए नियम की नींव रखी है कि पहचान और आयु सत्यापन के लिए अलग-अलग दस्तावेजों का प्रयोग आवश्यक है।
मामले का आधार और कोर्ट का निर्णय
इस फैसले का मुख्य आधार नरसिंहपुर जिले की निवासी सुनीता बाई साहू की याचिका रही, जिनके पति मोहनलाल साहू की करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। सुनीता बाई ने सरकारी आर्थिक सहायता योजना के तहत आवेदन किया था, जिसे उनके पति की आयु अधिक होने के कारण खारिज कर दिया गया। उनके पति का आधार कार्ड में दर्ज उम्र के अनुसार उनकी उम्र 64 साल से कम थी, लेकिन जनपद पंचायत ने अन्य दस्तावेज़ों के आधार पर उनकी उम्र 64 साल से अधिक मानी।
आधार कार्ड पर आयु प्रमाण का विवाद
इस मामले में कोर्ट ने साफ कर दिया कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि को सही नहीं माना जा सकता। सरकारी योजनाओं के लिए आयु प्रमाण के लिए मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ का ही उपयोग किया जाना चाहिए। कोर्ट के अनुसार, पहचान और उम्र सत्यापन के लिए एक ही दस्तावेज़ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
यह आदेश केंद्र और राज्य सरकारों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करता है कि सरकारी योजनाओं में आयु सत्यापन के लिए आधार कार्ड का उपयोग न हो।
आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में मान्यता
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश ने यह स्थापित कर दिया कि आधार कार्ड का मुख्य उद्देश्य पहचान देना है, न कि आयु का प्रमाण। कोर्ट ने कहा कि आधार का उपयोग केवल पहचान के लिए होना चाहिए, और सरकारी योजनाओं में इसका उपयोग आयु सत्यापन के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट द्वारा जारी निर्देश
इस फैसले के साथ कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि इस आदेश की जानकारी सभी जिला कलेक्टरों और सरकारी अधिकारियों को दी जाए, ताकि सरकारी योजनाओं में सही दस्तावेज़ों का उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इस निर्णय का उद्देश्य सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाना है।
अदालत का निर्देश: पहचान और आयु के लिए अलग दस्तावेज़
अदालत ने साफ किया है कि किसी भी सरकारी प्रक्रिया में पहचान और आयु सत्यापन के लिए अलग-अलग दस्तावेज़ आवश्यक हैं। पहचान के लिए आधार कार्ड मान्य है, लेकिन जन्मतिथि के सत्यापन के लिए दसवीं का सर्टिफिकेट या अन्य मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ का उपयोग किया जाना चाहिए।
1. क्या आधार कार्ड को उम्र के प्रमाण के रूप में मान्यता मिलती है?
नहीं, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अनुसार, आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान प्रमाण के रूप में होना चाहिए। उम्र के सत्यापन के लिए मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ का उपयोग किया जाना चाहिए।
2. उम्र प्रमाण के लिए किन दस्तावेज़ों का उपयोग किया जा सकता है?
दसवीं कक्षा का सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाणपत्र, या अन्य सरकारी मान्य दस्तावेज़ उम्र प्रमाण के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं।
3. आधार कार्ड का मुख्य उद्देश्य क्या है?
आधार कार्ड का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को एक अद्वितीय पहचान देना है, जो सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं में आवश्यक होती है।
4. क्या आधार कार्ड सरकारी योजनाओं में आयु प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है?
नहीं, सरकारी योजनाओं में आयु सत्यापन के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ आवश्यक हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का यह आदेश आधार कार्ड के उपयोग को सही दिशा में स्थापित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि पहचान और आयु सत्यापन के लिए सही दस्तावेज़ों का प्रयोग हो। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए दस्तावेज़ों का सही उपयोग करना चाहते हैं।