
आधार कार्ड के नियमों में बड़े बदलाव का दौर आने वाला है, जो आपके डिजिटल और व्यक्तिगत सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) दिसंबर 2025 से एक नया आधार कार्ड डिजाइन लॉन्च करने जा रहा है, जिसमें आपके नाम, पता, आधार नंबर जैसी व्यक्तिगत जानकारी कार्ड पर सीधे नजर नहीं आएगी। इसके बजाय आपकी फोटो और एक सुरक्षित क्यूआर कोड ही कार्ड पर होगा, जो आपकी सभी डिटेल्स को एनक्रिप्टेड (सुरक्षित) रूप में छुपाएगा। इस क्यूआर कोड को स्कैन करके ही वैध तरीके से आपकी जानकारी देखी जा सकेगी, जिससे डेटा की चोरी और गलत उपयोग से बचाव होगा.
यह बदलाव क्यों जरूरी है?
यूआईडीएआई का मकसद साफ है आपकी निजी जानकारी को उन संस्थानों से बचाना जो आज भी आधार कार्ड की फोटोकॉपी लेकर आपकी जानकारियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, होटल, इवेंट आयोजक और कई निजी एजेंसियां आधार कार्ड की कॉपी लेकर स्टोर कर लेते हैं, जिससे डेटा चोरी और फर्जीवाड़े का खतरा बढ़ जाता है। यूआईडीएआई की नई नीति के अनुसार, आधार कार्ड की कोई भी फोटोकॉपी लेना या स्टोर करना गैरकानूनी होगा। केवल डिजिटल तरीके से क्यूआर कोड स्कैन कर पहचान की पुष्टि स्वीकार्य होगी.
नए आधार कार्ड में क्या होगा?
- कार्ड पर केवल आपका फोटो और एक क्यूआर कोड दिखेगा।
- क्यूआर कोड में आपकी पूरी जानकारी सुरक्षित रहगी, जिसे केवल आधिकारिक और वैध माध्यम से स्कैन किया जा सकेगा।
- कोई भी व्यक्ति या संस्था आपके नाम, पता या आधार नंबर को सीधे कार्ड से नहीं देख सकेगा।
- इस बदलाव से डेटा चोरी और फर्जी पहचान की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी.
डिजिटल ऐप और फेशियल रिकॉग्निशन
यूआईडीएआई एक नया आधार ऐप भी ला रहा है, जो मौजूदा mAadhaar ऐप को बदल देगा। इस नए ऐप में क्यूआर कोड के साथ फेशियल रिकॉग्निशन आधारित सुरक्षा और पहचान की सुविधा होगी। उदाहरण के लिए, होटल चेक-इन, इवेंट एंट्री, या आयु सत्यापन के लिए अब कार्ड की फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी, बस क्यूआर कोड स्कैन करें और फेस ऑथेंटिकेशन से आपकी पहचान हो जाएगी। यह सिस्टम बिलकुल हवाई अड्डों की डिजीयात्रा प्रणाली जैसा होगा, जहां बिना दस्तावेज दिखाए फेस रिकॉग्निशन से एंट्री मिलती है.
रोजमर्रा के उपयोग में बदलाव
नए आधार कार्ड और ऐप के लागू होने के बाद जीवन आसान और सुरक्षित होगा। अब होटल, सोसायटी, इवेंट या अन्य जगहों पर आधार की फोटोकॉपी मांगना गैरकानूनी होगा। पहचान सिर्फ डिजिटल माध्यम से होगी, जिससे आपकी निजी जानकारियों का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी। यह कदम भारत को वैश्विक स्तर पर डिजिटल पहचान सुरक्षा के उच्च मानकों के करीब ले जाएगा.


