भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने हाल ही में घोषणा की है कि 18 वर्ष से ऊपर और पहली बार आधार कार्ड बनवाने वालों के लिए फिजिकल वेरिफिकेशन प्रक्रिया राज्य सरकार की सहमति से की जाएगी। इस नई प्रणाली को पासपोर्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया की तर्ज पर तैयार किया गया है। UIDAI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार जिला और उप-विभागीय स्तर पर नोडल अधिकारियों, जैसे अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, को नियुक्त करेगी।
यह फिजिकल वेरिफिकेशन चयनित आधार केंद्रों पर होगा, जिनमें प्रत्येक जिले का मुख्य डाकघर और UIDAI द्वारा पहचाने गए अन्य केंद्र शामिल होंगे। इस श्रेणी के सभी आवेदनों का डेटा क्वालिटी चेक किया जाएगा, और सेवा पोर्टल के माध्यम से वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी होगी। उप-विभागीय मजिस्ट्रेट द्वारा इन अनुरोधों का सत्यापन कर, 180 दिनों के भीतर आधार कार्ड जारी किया जाएगा।
डेटा क्वालिटी और वेरिफिकेशन की नई प्रक्रिया
UIDAI के उप महानिदेशक प्रशांत कुमार सिंह ने इस नई प्रक्रिया को 18 वर्ष से अधिक उम्र के पहली बार आधार बनवाने वालों के लिए अनिवार्य बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक बार आधार बन जाने के बाद, व्यक्ति सामान्य प्रक्रिया के माध्यम से अपने आधार को अपडेट करवा सकेंगे। इस नई प्रणाली का उद्देश्य न केवल डेटा की शुद्धता सुनिश्चित करना है, बल्कि धोखाधड़ी और त्रुटियों को भी रोकना है।
उत्तर प्रदेश में आधार नामांकन की प्रगति
उत्तर प्रदेश में आधार नामांकन की प्रक्रिया ने उल्लेखनीय प्रगति की है। अब तक 18 वर्ष से अधिक उम्र के 16.55 करोड़ लोग अपना आधार बनवा चुके हैं। हर महीने औसतन 13,246 आधार नामांकन संसाधित किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया 14,095 नामांकन और अपडेट मशीनों के माध्यम से संचालित की जा रही है। UIDAI ने इस सफलता को राज्यों के साथ तालमेल और नई तकनीकों के समावेशन का परिणाम बताया है।
नए बदलाव क्यों हैं ज़रूरी?
आधार कार्ड पहचान का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुका है, और इसका उपयोग बैंकिंग, मोबाइल नंबर पंजीकरण और सरकारी योजनाओं के लाभ उठाने के लिए अनिवार्य है। 18 साल से ऊपर के पहली बार आधार बनवाने वालों के लिए फिजिकल वेरिफिकेशन यह सुनिश्चित करेगा कि हर व्यक्ति का डेटा सही और प्रमाणिक हो। इस प्रक्रिया से UIDAI को सही आंकड़े जुटाने और राष्ट्रीय पहचान को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।