
ChatGPT द्वारा नकली Aadhaar कार्ड और PAN कार्ड बनाए जाने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और आम नागरिकों के बीच चिंता का माहौल बन गया है। AI टूल्स का उपयोग अब केवल जानकारी देने तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका इस्तेमाल अब जालसाजी जैसे गंभीर अपराधों में भी होने लगा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने ऐसे नकली दस्तावेज़ साझा किए हैं, जिन्हें ChatGPT जैसे जनरेटिव AI मॉडल की मदद से तैयार किया गया बताया जा रहा है।
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कैसे बनते हैं ये नकली दस्तावेज़?
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जैसे GPT-4, को ऐसे प्रॉम्प्ट्स दिए जा सकते हैं जो इसे आधार और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज़ों की हूबहू कॉपी तैयार करने में सक्षम बनाते हैं। इन डॉक्युमेंट्स में नाम, जन्मतिथि, पता और यहां तक कि आधार नंबर जैसे डिटेल्स भी शामिल होते हैं। हालांकि इनमें असली दस्तावेज़ों की तरह क्यूआर कोड, सिक्योरिटी होलोग्राम या डिजिटल सिग्नेचर नहीं होते, लेकिन पहली नजर में यह नकली दस्तावेज़ असली लग सकते हैं।
असली और नकली Aadhaar की पहचान कैसे करें?
UIDAI द्वारा जारी असली Aadhaar कार्ड में डिजिटल हस्ताक्षरित क्यूआर कोड होता है, जिसे UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप के जरिए स्कैन कर सत्यापित किया जा सकता है। अगर किसी दस्तावेज़ में यह क्यूआर कोड नहीं है या स्कैन करने पर विवरण मेल नहीं खाता, तो समझिए कि वह नकली है। इसके अलावा, नकली दस्तावेज़ों में अक्सर टाइपोग्राफिकल त्रुटियाँ या असामान्य फॉन्ट दिखाई देते हैं।
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इस खतरे से कैसे बचें?
Digital Documents को शेयर करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतें। कभी भी WhatsApp या अनजाने ईमेल के जरिए आधार या पैन कार्ड शेयर न करें। अगर किसी व्यक्ति या संस्था को आपके दस्तावेज़ की आवश्यकता है, तो उसे केवल Masked Aadhaar (जिसमें केवल आखिरी 4 अंक दिखते हैं) दें। साथ ही, अपने दस्तावेज़ों को UIDAI की वेबसाइट पर जाकर समय-समय पर वेरिफाई करते रहें।
ChatGPT और AI की जवाबदेही
यह भी जरूरी है कि OpenAI जैसे AI डेवलपर प्लेटफॉर्म अपनी टेक्नोलॉजी की जवाबदेही सुनिश्चित करें। ऐसे संवेदनशील यूज़ केस को सीमित करने के लिए सख्त फिल्टर और प्रॉम्प्ट डिटेक्शन सिस्टम की जरूरत है। सरकार को भी चाहिए कि वह जनरेटिव AI पर स्पष्ट गाइडलाइन जारी करे, ताकि ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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