असम में घुसपैठ पर रोकने का फॉर्मूला: डिप्टी कमिश्नर को होगा आधार देने का अधिकार

असम में अवैध घुसपैठ पर लगेगा ब्रेक! सरकार ने डिप्टी कमिश्नर को दिया आधार वेरिफिकेशन का सीधा अधिकार। अब एक क्लिक से पकड़े जाएंगे फर्जी दस्तावेज और घुसपैठिए। क्या यह कदम राज्य की सुरक्षा को देगा नया कड़ा कवच? जानिए इस बड़े फैसले के पीछे की पूरी रणनीति और असरदार प्लान।

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By Nishant
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असम में घुसपैठ पर रोकने का फॉर्मूला: डिप्टी कमिश्नर को होगा आधार देने का अधिकार
असम में घुसपैठ पर रोकने का फॉर्मूला: डिप्टी कमिश्नर को होगा आधार देने का अधिकार

असम सरकार ने अवैध प्रवास-Illegal Migration पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार अब आधार कार्ड-Aadhaar Card जारी करने की प्रक्रिया को और कड़ा करने जा रही है। प्रस्ताव के अनुसार, अब राज्य में वयस्क नागरिकों को आधार कार्ड केवल डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner) या जिला उपायुक्त की अनुमति से ही जारी किया जा सकेगा।

अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने की तैयारी

मुख्यमंत्री सरमा ने शुक्रवार को बताया कि इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की पिछली बैठक में अनौपचारिक रूप से चर्चा की गई है और अगली बैठक में इसे औपचारिक रूप से मंजूरी देने की योजना है। सरकार का मानना है कि असम में बांग्लादेश से अवैध तरीके से आने वाले घुसपैठिये लंबे समय से फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए आधार कार्ड हासिल कर रहे हैं।

सरकार का यह भी मानना है कि अधिकांश वैध नागरिक पहले ही आधार कार्ड प्राप्त कर चुके हैं। अब बहुत सीमित संख्या में ही वयस्क आधार के लिए आवेदन कर रहे हैं, ऐसे में प्रशासनिक नियंत्रण को बढ़ाना जरूरी है।

डिप्टी कमिश्नर के हाथ में होगी मंजूरी की चाबी

नई प्रणाली के तहत अब कोई भी वयस्क नागरिक आधार के लिए तभी आवेदन कर सकेगा जब उसे डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर से अनुमति प्राप्त हो। यह कदम सीधे तौर पर पहचान प्रणाली को मजबूत करने और फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया है।

मुख्यमंत्री का कहना है कि “बांग्लादेश से आए अवैध अप्रवासियों द्वारा बार-बार दस्तावेजों में हेरफेर कर पहचान पत्र बनवाने की शिकायतें मिलती रही हैं। अब हर वयस्क के आवेदन को जिला उपायुक्त की मंजूरी से जोड़ा जाएगा, जिससे यह तय होगा कि केवल वैध भारतीय नागरिकों को ही आधार कार्ड मिल सके।”

वैध नागरिकों को नहीं होगी परेशानी

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया केवल अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें रोकने के लिए है, न कि राज्य के वैध नागरिकों को परेशान करने के लिए। उन्होंने कहा, “जो असली नागरिक हैं, लेकिन किसी कारणवश उन्हें अब तक आधार नहीं मिला, उनके लिए भी यह रास्ता खुला रहेगा। बस उन्हें आवेदन से पहले जिला उपायुक्त से अनुमति लेनी होगी।”

यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब आधार कार्ड का इस्तेमाल बैंक अकाउंट, सरकारी योजनाओं, और मतदाता सूची में नामांकन जैसे कई अहम कार्यों में किया जा रहा है। ऐसे में इसके जारी होने की प्रक्रिया में सख्ती लाना समय की मांग है।

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जन्म प्रमाण पत्र के लिए भी बदलेगा नियम

मुख्यमंत्री सरमा ने एक और अहम बात साझा की कि सरकार जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में भी बदलाव की योजना बना रही है। अब उन लोगों के लिए नई प्रक्रिया लाई जाएगी जो कई साल पहले जन्मे थे लेकिन हाल ही में जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं।

सरमा के अनुसार, कई बार ऐसे प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जारी करवा लिए जाते हैं, जिससे पहचान प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। इसी को रोकने के लिए सरकार नए नियम लाने की तैयारी में है।

घुसपैठ रोकने में मिलेगा सहारा

सरमा सरकार का यह कदम राज्य में अवैध अप्रवासियों, विशेषकर बांग्लादेशी घुसपैठियों, की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। कई बार ये लोग आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज हासिल कर राज्य में वैध नागरिक बन जाते हैं, जिससे सामाजिक और राजनीतिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

सरकार का मानना है कि यदि आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र जैसे मूलभूत दस्तावेजों की प्रक्रिया को सख्त और पारदर्शी बना दिया जाए, तो अवैध प्रवासियों का नेटवर्क टूट सकता है।

असम में दस्तावेजों की भरोसेमंदी बढ़ेगी

प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह राज्य में पहचान प्रणाली को एक नई दिशा देगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे न केवल फर्जी आधार कार्ड जारी होने पर रोक लगेगी, बल्कि जन्म प्रमाण पत्र जैसी बुनियादी सेवाओं में भी विश्वसनीयता आएगी।

मुख्यमंत्री सरमा ने अंत में कहा कि यह सब कदम राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और नागरिकता से संबंधित धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए जरूरी हैं।

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