
आधार आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स में से एक है। एक पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड का इस्तेमाल तमाम जगहों पर किया जाता है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी यह 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या भारत में पहचान और पते के प्रमाण के रूप में मान्य होती है। आधार कार्ड को इंडिया पोस्ट से प्राप्त किया गया हो या UIDAI की वेबसाइट से डाउनलोड किया गया ई-आधार हो, दोनों ही समान रूप से मान्य हैं।
हालांकि, आधार से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले भी अक्सर सामने आते हैं, जिन पर सरकार की ओर से सख्त नियम लागू किए गए हैं। आधार से जुड़े अपराधों के लिए जुर्माने और सजा का भी प्रावधान किया गया है। आइए, विस्तार से जानते हैं आधार कार्ड से जुड़े अपराधों और उनके दंड के बारे में।
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आधार से जुड़े अपराध और दंड
गलत जानकारी देकर आधार बनवाना
आधार बनवाते समय अगर कोई व्यक्ति गलत जनसांख्यिकीय या बायोमेट्रिक जानकारी देकर फर्जीवाड़ा करता है, तो यह एक गंभीर अपराध है। दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल, 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
आधार नंबर की पहचान बदलना
आधार संख्या धारक की पहचान को बदलकर या बदलने का प्रयास करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध के लिए 3 साल तक की कैद और 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
फर्जी एजेंसी बनकर डेटा इकट्ठा करना
किसी निवासी की पहचान संबंधी जानकारी इकट्ठा करने के लिए अगर कोई खुद को अधिकृत एजेंसी बताकर डेटा प्राप्त करने की कोशिश करता है, तो यह अपराध होगा। इस अपराध में दोषी पाए जाने पर 3 साल की जेल, 10,000 रुपये तक का जुर्माना या किसी कंपनी के लिए 1 लाख रुपये तक का दंड लगाया जा सकता है।
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आधार डेटा को अनधिकृत रूप से साझा करना
नामांकन या प्रमाणीकरण के दौरान इकट्ठा की गई जानकारी को जानबूझकर किसी अनधिकृत व्यक्ति को भेजना या बताना अपराध है। इसके लिए दोषी व्यक्ति को 3 साल तक की कैद और 10,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। किसी कंपनी के मामले में यह जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है।
केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजिटरी (CIDR) तक पहुंच
यूआईडीएआई के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति या संस्था केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजिटरी में अनधिकृत पहुंच प्राप्त करता है या उसे हैक करने का प्रयास करता है, तो उसे 10 साल तक की जेल और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
डेटा के साथ छेड़छाड़
अगर कोई व्यक्ति केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजिटरी में मौजूद डेटा के साथ छेड़छाड़ करता है, तो यह भी एक गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में 10 साल तक की कैद और 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
रिक्वेस्टिंग यूनिट द्वारा डेटा का गलत इस्तेमाल
यदि कोई संस्था या व्यक्ति ऑफलाइन वेरिफिकेशन के दौरान किसी व्यक्ति की पहचान की जानकारी का गलत इस्तेमाल करता है, तो इसके लिए 3 साल तक की कैद और 10,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। किसी कंपनी के मामले में यह जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है।
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अन्य अपराध और सामान्य दंड
ऐसे अपराध, जिनके लिए कहीं और कोई विशेष दंड का प्रावधान नहीं है, उनके लिए 3 साल तक की कैद या 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। किसी कंपनी के मामले में यह जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है।