डेट ऑफ बर्थ का प्रूफ नहीं है आधार कार्ड, जानें कौन सा डॉक्यूमेंट है सही

क्या आप आधार कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण मानते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस पर अहम फैसला सुनाया है। जानें, क्यों आधार इस काम के लिए वैध नहीं है और कौन से डॉक्यूमेंट आपकी जन्मतिथि के लिए सही प्रूफ माने जाते हैं। पूरी जानकारी पढ़ें!

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By Nishant
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डेट ऑफ बर्थ का प्रूफ नहीं है आधार कार्ड, जानें कौन सा डॉक्यूमेंट है सही
डेट ऑफ बर्थ का प्रूफ नहीं है आधार कार्ड, जानें कौन सा डॉक्यूमेंट है सही

Aadhar Card Date Of Birth Proof: भारत में आधार कार्ड (Aadhaar Card) एक अहम दस्तावेज बन चुका है, जो पहचान पत्र के रूप में लगभग हर जगह स्वीकार किया जाता है। देश की लगभग 90 फीसदी आबादी के पास आधार कार्ड है, और यह नागरिकों के लिए कई सरकारी और निजी सेवाओं तक पहुंचने का मुख्य जरिया है। लेकिन क्या इसे जन्मतिथि प्रमाण (Date of Birth Proof) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल का जवाब देते हुए आधार कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण के तौर पर मानने से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें आधार कार्ड को डेट ऑफ बर्थ के प्रूफ के तौर पर मानने से इनकार किया गया। यह निर्णय एक मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने से जुड़े मामले में आया।

इस केस में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पहले आधार को जन्मतिथि प्रमाण के तौर पर वैध माना था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पुनर्विचार करते हुए स्पष्ट किया कि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (School Leaving Certificate) या एसएलसी को जन्मतिथि प्रमाण के लिए अधिक वैध और मान्य दस्तावेज माना जाना चाहिए।

UIDAI की अधिसूचना और अदालत का रुख

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने पिछले साल अक्टूबर में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि आधार कार्ड को केवल पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे जन्म तिथि प्रमाण पत्र या अन्य कानूनी दस्तावेजों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए आधार को डेट ऑफ बर्थ प्रूफ के रूप में अस्वीकार किया।

क्यों जरूरी है सही दस्तावेजों का इस्तेमाल?

यह फैसला उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो आधार कार्ड को सभी प्रकार के दस्तावेजों का विकल्प मानते हैं। पासपोर्ट, पैन कार्ड, वोटर आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेजों की तुलना में आधार कार्ड का मुख्य उद्देश्य पहचान को प्रमाणित करना है। जन्मतिथि प्रमाण के लिए स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट, बर्थ सर्टिफिकेट या अन्य सरकारी मान्य प्रमाणों का उपयोग करना अनिवार्य है।

न्यायालय का तर्क और दस्तावेजों की वैधता

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि हमेशा सत्यापित नहीं होती है। यह डेटा कई बार स्वघोषित (Self-Declared) होता है और इसे सत्यापित करने की प्रक्रिया उतनी सख्त नहीं है जितनी कि अन्य दस्तावेजों के लिए होती है। स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों को तैयार करने में गहन प्रक्रिया और सत्यापन शामिल होता है, जिससे उनकी वैधता मजबूत होती है।

नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण संदेश

यह निर्णय नागरिकों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि वे अपनी पहचान और जन्मतिथि के प्रमाण के लिए सही और मान्य दस्तावेजों का उपयोग करें। आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान पत्र के रूप में करें और आवश्यकतानुसार स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट, बर्थ सर्टिफिकेट या अन्य मान्य दस्तावेजों का सहारा लें।

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सरकार और एजेंसियों की भूमिका

UIDAI जैसे सरकारी निकायों को नागरिकों को जागरूक करने की दिशा में और कदम उठाने की आवश्यकता है। लोगों को समझाना होगा कि आधार का उपयोग सीमित है और अन्य वैध दस्तावेजों की उपयोगिता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

जन्म प्रमाण पर सुप्रीम फैसला

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल आधार कार्ड की सीमाओं को स्पष्ट करता है, बल्कि नागरिकों को यह संदेश भी देता है कि उनके पास सही और मान्य दस्तावेज होने चाहिए। आधार कार्ड पहचान पत्र के रूप में अत्यधिक उपयोगी है, लेकिन जन्मतिथि प्रमाण के लिए स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट या बर्थ सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। यह फैसला भविष्य में दस्तावेजों की वैधता और उपयोगिता को लेकर जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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