Aadhaar Card Crime: आधार आज भारत में पहचान और पते के प्रमाण के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बन चुका है। इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है। 12 अंकों की यह संख्या नागरिकों को विभिन्न सेवाओं तक पहुंचाने में मदद करती है। लेकिन इसके बढ़ते उपयोग के साथ ही आधार से जुड़े फर्जीवाड़े और अपराध भी सामने आने लगे हैं। ऐसे अपराधों को रोकने और दंडित करने के लिए सख्त नियम और सजा का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजिटरी (CIDR) तक अनधिकृत पहुंच
CIDR, जो आधार डेटा का मुख्य भंडार है, तक अनधिकृत पहुंच या हैकिंग करना एक गंभीर अपराध है। UIDAI के नियमों के अनुसार, इस अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद और कम से कम ₹10 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह प्रावधान डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
डेटा में छेड़छाड़: गंभीर परिणाम
केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजिटरी में किसी भी प्रकार की डेटा के साथ छेड़छाड़ करना कानूनन अपराध है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे 10 साल तक की कैद और ₹10,000 तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। यह कदम आधार डेटा की अखंडता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
पहचान की जानकारी का गलत उपयोग
रिक्वेस्ट करने वाली यूनिट या ऑफलाइन वेरिफिकेशन करने वाली यूनिट द्वारा किसी व्यक्ति की पहचान की जानकारी का गलत इस्तेमाल भी दंडनीय है। इस अपराध में शामिल होने पर व्यक्ति को 3 साल तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना हो सकता है। यदि किसी कंपनी को दोषी पाया जाता है तो उस पर ₹1 लाख तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
अन्य गैर-विशिष्ट अपराध
ऐसे अपराध जिनके लिए किसी विशेष दंड का उल्लेख नहीं है, उनके लिए भी सजा तय है। अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है, तो उसे 3 साल तक की जेल या ₹25,000 का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। वहीं, कंपनी के मामले में यह जुर्माना ₹1 लाख तक हो सकता है।
बायोमेट्रिक या जनसांख्यिकीय जानकारी में फर्जीवाड़ा
आधार बनवाते समय गलत जानकारी देना या फर्जीवाड़ा करना एक अपराध है। दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर बायोमेट्रिक या जनसांख्यिकीय डेटा को बदलने की कोशिश की जाती है तो भी यह अपराध की श्रेणी में आता है।
एजेंसी बनकर धोखाधड़ी करना
किसी निवासी की पहचान संबंधी जानकारी इकट्ठा करने के लिए खुद को अधिकृत एजेंसी दिखाना अपराध है। इस तरह के अपराध में शामिल होने पर व्यक्ति को 3 साल तक की जेल या ₹10,000 का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। किसी कंपनी के मामले में यह जुर्माना ₹1 लाख तक हो सकता है।
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जानकारी को अनधिकृत रूप से साझा करना
आधार नामांकन या प्रमाणीकरण के दौरान इकट्ठा की गई जानकारी को अनधिकृत व्यक्ति को साझा करना भी अपराध है। इस अपराध के लिए 3 साल तक की जेल या ₹10,000 का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया हो तो जुर्माना ₹1 लाख तक हो सकता है।
आधार अपराधों की गंभीरता और सतर्कता की जरूरत
आधार से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए कानून सख्त हैं। UIDAI द्वारा निर्धारित ये दंड और जुर्माने नागरिकों और कंपनियों को सतर्क रहने का संदेश देते हैं। आधार डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर नागरिक को जिम्मेदारी से इसका उपयोग करना चाहिए।
संदिग्ध व्यक्ति की शिकायत करें
आधार का सही और जिम्मेदाराना उपयोग न केवल आपकी व्यक्तिगत पहचान की सुरक्षा करता है बल्कि देश के डिजिटल ढांचे को भी मजबूत बनाता है। किसी भी तरह की अनियमितता से बचें और किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत संबंधित प्राधिकरण को दें।