केंद्र सरकार ने किसानों के लिए यूरिया और डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) उर्वरकों की खरीद के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। यह कदम रासायनिक उर्वरकों के अनियंत्रित उपयोग पर लगाम लगाने और वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम प्रणाम योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को रोकना, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करना और किसानों को जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करना है।
किसानों के लिए आधार कार्ड क्यों जरूरी किया गया है?
सरकार ने अब यूरिया और डीएपी उर्वरक की खरीद को आधार कार्ड से जोड़ दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उर्वरकों का सही इस्तेमाल हो और जरूरतमंद किसानों तक ही इसकी पहुंच हो। बिना आधार कार्ड के अब रासायनिक उर्वरक खरीदना संभव नहीं होगा। यह कदम इसलिए भी उठाया गया है ताकि सब्सिडी का गलत उपयोग न हो और उर्वरकों की कालाबाजारी को रोका जा सके।
उर्वरक की खरीदी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य
अब से, यदि कोई किसान यूरिया या डीएपी खरीदना चाहता है, तो उसे अपने आधार कार्ड का उपयोग करना अनिवार्य होगा। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल सही और पात्र किसानों को ही उर्वरक मिलें। इसके अलावा, सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि नैनो यूरिया और डीएपी का उपयोग बढ़े, जो कम खर्चीला और अधिक प्रभावी है।
किसानों के लिए फायदे
- आधार कार्ड के जरिए उर्वरकों का वितरण पारदर्शी होगा और कालाबाजारी पर रोक लगेगी।
- वैकल्पिक उर्वरकों का इस्तेमाल किसानों की लागत को कम करेगा।
- जैविक खेती से किसानों को अधिक लाभ होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी।
- कम रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और पर्यावरण को भी लाभ होगा।
- उर्वरकों पर सब्सिडी का सही इस्तेमाल होगा और इसका बोझ कम किया जाएगा।
केंद्र सरकार की पीएम प्रणाम योजना का उद्देश्य किसानों को Environmental Friendly और वैकल्पिक उर्वरकों की ओर बढ़ाना है, ताकि कृषि लागत में कमी आए और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इसके साथ ही, आधार कार्ड के जरिए उर्वरकों की खरीदी को अनिवार्य बनाने से वितरण प्रणाली में पारदर्शिता आएगी और कालाबाजारी पर रोक लगेगी। जैविक खेती से उत्पन्न उत्पादों की मार्केटिंग से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
सरकार का यह कदम न केवल किसानों को फायदा पहुंचाएगा, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण की भी रक्षा करेगा
किसान यूरिया को रूरिया कहता है। एक जमाने में चांद छाप यूरिया को दोगुनी किमत देकर ब्लैक में खरीदता था।इसका कारण उसमें नाइट्रोजन का 46%होना नहीं था बल्कि चांद चोदी का प्रचार था।ऐसा वो बड़ी शान से बताता था। किसान को प्रशिक्षित करने की सख्त जरूरत है। अडानी ऐसा मुफ्त में तो करने से रहे। सरकार का संरक्षण तो उन्हें देना ही होगा।