बिना आधार खाता न खोलने पर बैंक को लगा झटका, हाईकोर्ट ने दिया ₹50,000 मुआवजा देने का आदेश

देश के शीर्ष अदालत ने एक अहम फैसले में बैंक को आदेश दिया कि अगर ग्राहक का आधार नहीं होने पर खाता नहीं खोला गया, तो उन्हें ₹50,000 का मुआवजा देना होगा। इस फैसले से बैंकिंग प्रणाली में नया बदलाव आएगा, और ग्राहकों को मिलेगा न्याय। जानिए इस केस की पूरी कहानी!

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By Nishant
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बिना आधार खाता न खोलने पर बैंक को लगा झटका, हाईकोर्ट ने दिया ₹50,000 मुआवजा देने का आदेश
बिना आधार खाता न खोलने पर बैंक को लगा झटका, हाईकोर्ट ने दिया ₹50,000 मुआवजा देने का आदेश

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जरूरी फैसला सुनाते हुए कहा है, कि किसी भी बैंक को खाता खोलने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने का अधिकार नहीं है। यह आदेश यह बैंक (Yash Bank) द्वारा आधार कार्ड की मांग करने और इसके कारण खाता खोलने में हुई देरी के मामले में दिया गया है। कोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के ट्टस्वामी फैसले का हवाला देते हुए यह निर्णय सुना दिया है, जससे यह साफ हो गया कि किसी भी कस्टमर से आधार कार्ड अनिवार्य रूप से मांगना और इसे खाता की शर्त बनाना गलत होगा।

सुप्रीम कोर्ट का पुट्टस्वामी फैसले का असर

यह मामला सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2018) फैसले से जुड़ा हुआ है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को किसी भी सेवा के लिए अनिवार्य बनाने पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया था कि आधार कार्ड का उपयोग केवल स्वैच्छिक रूप से ही किया जा सकता है और इसे किसी भी सेवा या सुविधा के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता।

कोर्ट ने कहा था कि आधार का उपयोग केवल उन्हीं मामलों में किया जा सकता है, जहां इसकी आवश्यकता हो, लेकिन यह कभी भी किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। इस फैसले के बाद, बैंकिंग सेक्टर समेत अन्य सेवाओं को भी आधार कार्ड को अनिवार्य रूप से मांगने का अधिकार नहीं मिला।

यस बैंक द्वारा खाता खोलने में देरी और इसके प्रभाव

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यस बैंक द्वारा 2019 तक खाता खोलने में हुई देरी को भी गंभीरता से लिया। कोर्ट ने यह पाया कि बैंक की इस देरी का कोई उचित कारण नहीं था, और यह देरी याचिकाकर्ता माइक्रोफाइबर्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए भारी नुकसान का कारण बनी। खासकर किराए में हुई बढ़ोतरी ने कंपनी की व्यवसायिक गतिविधियों में विघ्न डाला, जिससे कंपनी को वित्तीय नुकसान हुआ।

कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंक द्वारा खाता खोलने में देरी करने का असर सीधे तौर पर ग्राहक की व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ा। बैंक के इस प्रकार के लापरवाह रवैये को सही नहीं ठहराया गया और इसे ग्राहक के अधिकारों का उल्लंघन माना गया।

मुआवजे का दावा और कोर्ट का निर्णय

याचिकाकर्ता माइक्रोफाइबर्स प्राइवेट लिमिटेड ने यस बैंक द्वारा खाता खोलने में हुई देरी के कारण 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इस मुआवजे की राशि को अत्यधिक मानते हुए इसे घटाकर 50,000 रुपये कर दिया। कोर्ट ने इस फैसले में मामले की विशेष परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए यथोचित मुआवजा तय किया।

कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि बैंक को अपनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए और ग्राहकों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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बैंकों के लिए एक कड़ा संदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अहम संदेश है। कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि बैंकों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करना आवश्यक है, जिसमें आधार कार्ड के अनिवार्य उपयोग पर रोक लगाई गई है। अगर किसी बैंक द्वारा बिना उचित कारण के खाता खोलने में देरी की जाती है, तो ग्राहक को मुआवजा मिलने का अधिकार होगा।

इस फैसले से बैंकों को यह सीखने को मिला है कि उन्हें ग्राहकों के अधिकारों का सम्मान करना होगा और खाता खोलने की प्रक्रिया को सरल एवं पारदर्शी बनाना होगा।

ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले ने ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब बैंकों को यह समझना होगा कि यदि ग्राहक को खाता खोलने में बिना उचित कारण के देरी होती है, तो उन्हें कानूनी उपायों का सहारा लेने का पूरा अधिकार है। यह मामला ग्राहकों के लिए एक उदाहरण पेश करता है कि कैसे वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं, खासकर जब बैंक अपनी प्रक्रियाओं में अनावश्यक रुकावट डालते हैं।

इस फैसले ने यह भी सिद्ध किया कि भारतीय न्याय व्यवस्था ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए तत्पर है और किसी भी संस्था को ग्राहक के अधिकारों की अनदेखी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बैंकों और ग्राहकों के अनुकूल बनने की आवश्यकता

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश ने बैंकों को एक कड़ा संदेश दिया है कि वे अपनी प्रक्रियाओं में और अधिक पारदर्शिता और ग्राहक केंद्रित सुधार करें। यह आदेश बैंकिंग सेक्टर को ग्राहकों के अनुकूल बनाने की दिशा में एक और कदम है। अब बैंकों को यह समझना होगा कि ग्राहक उनकी प्राथमिकता हैं और उनका विश्वास बनाए रखने के लिए बैंक को अपनी सेवाओं को बेहतर और अधिक पारदर्शी बनाना होगा।

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