अब सिर्फ आधार नहीं! सरकार ने इस नए दस्तावेज़ को भी बनाया एड्रेस प्रूफ—आपके पास है या नहीं?

UIDAI और UPI की कामयाबी के बाद भारत सरकार अब हर पते को डिजिटल बनाने जा रही है। DigiPIN नामक यूनिक कोड से आपका पता बनेगा डिजिटल पहचान। जानें कैसे और कब मिलेगा यह नया एड्रेस प्रूफ।

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By Nishant
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भारत सरकार डिजिटल पहचान के क्षेत्र में एक नया बड़ा कदम उठाने जा रही है। जहां पहले आधार-Aadhaar ने नागरिकों की पहचान को डिजिटल बनाया और यूपीआई-UPI ने पेमेंट्स को आसान किया, वहीं अब सरकार एक नई प्रणाली ‘डिजिटल एड्रेस आईडी’ (Digital Address ID) लाने पर काम कर रही है। इसका मकसद है देश के हर पते को एक यूनिक डिजिटल कोड देना, जिसे ‘डिजिपिन’ (DigiPIN) कहा जाएगा। यह कोड हर घर, दुकान, कार्यालय या किसी भी स्थान को डिजिटल रूप से पहचाने जाने लायक बनाएगा। सरकार की इस योजना को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मॉनिटर किया जा रहा है, और इसके लागू होने की उम्मीद इसी साल के अंत तक जताई जा रही है।

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डिजिटल एड्रेस आईडी क्या है और क्यों जरूरी है

भारत में बहुत से पते या तो अधूरे होते हैं या फिर अस्पष्ट, खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में। ऐसे में सही सेवा वितरण, डिलीवरी, सरकारी सहायता और आपातकालीन सेवाएं बाधित होती हैं। सरकार की नई योजना ‘डिजिटल एड्रेस आईडी’ इस समस्या का समाधान दे सकती है। इस आईडी के तहत हर स्थान को 10 कैरेक्टर का एक अल्फान्यूमेरिक कोड (DigiPIN) मिलेगा, जो उस स्थान की जिओ-लोकेशन यानी भौगोलिक स्थिति पर आधारित होगा।

यह योजना न सिर्फ पते की स्पष्टता लाएगी, बल्कि इसे बैंकिंग, KYC प्रक्रिया, ई-कॉमर्स डिलीवरी, सरकारी योजनाओं के वितरण और डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन में उपयोगी बनाया जा सकेगा।

पते की अस्पष्टता से आर्थिक नुकसान का अनुमान

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को हर साल खराब या अधूरे पते की वजह से करीब 10 से 14 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। यह देश के GDP का लगभग 0.5% हिस्सा है। कारण साफ है—लॉजिस्टिक्स सेक्टर को सही पते न मिलने की वजह से डिलीवरी में देरी, ग़लत लोकेशन, दोहराव वाले पते, और संसाधनों की बर्बादी होती है। डिजिटल एड्रेस आईडी से यह खर्च काफी हद तक कम किया जा सकता है।

DigiPIN से जुड़े तकनीकी पहलू

DigiPIN कोड उस स्थान की जिओ-कोऑर्डिनेट्स पर आधारित होगा यानी यह पिन आपके घर या दुकान की सटीक जीपीएस लोकेशन से लिंक होगा। यह सिस्टम भारत के डाक विभाग (Department of Posts) के तहत विकसित किया जा रहा है, और यह पूरा डिज़ाइन भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसे आधार, यूपीआई और डिजिलॉकर जैसी सेवाओं की तर्ज़ पर तैयार किया गया है।

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इसमें यूज़र एक मोबाइल ऐप या पोर्टल के ज़रिए अपने पते का सत्यापन कर पाएंगे। अगर वह स्थान मौजूद है, तो DigiPIN तुरंत जारी किया जाएगा। नहीं तो उपयोगकर्ता को अपने लोकेशन का सटीक मैपिंग कर पते को मान्यता दिलाने की प्रक्रिया अपनानी होगी।

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क्या यह आधार की तरह अनिवार्य होगा?

सरकार ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि डिजिटल एड्रेस आईडी आधार की तरह अनिवार्य होगी या नहीं। लेकिन संभावना है कि आने वाले समय में यह सिस्टम आधार, पासपोर्ट, बैंकिंग और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में पते का प्रमाण बनने लगेगा। यानी, अगर आप किसी जगह रहते हैं, और वहां की बिजली बिल, पानी कनेक्शन, राशन कार्ड आदि जैसी सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उस पते का यूनिक DigiPIN होना आपके लिए फायदेमंद होगा।

कब से लागू हो सकती है यह नई प्रणाली

सूत्रों की मानें तो डिजिटल एड्रेस आईडी के लिए सरकार मसौदा (draft policy) तैयार कर चुकी है, जो जल्द ही पब्लिक फीडबैक के लिए जारी किया जाएगा। इसके बाद इस साल के अंत तक संसद के शीतकालीन सत्र में एक कानून के ज़रिए इस प्रणाली को कानूनी रूप देने की योजना है।

2025 के अंत तक देशभर में इसे रोलआउट करने की योजना है। शुरुआत में यह शहरी क्षेत्रों में और फिर चरणबद्ध तरीके से ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों में लागू की जाएगी।

नागरिकों के लिए क्या फायदे होंगे

डिजिटल एड्रेस आईडी नागरिकों के लिए कई सुविधाएं लाएगी। इससे न सिर्फ सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचेगा, बल्कि ई-कॉमर्स डिलीवरी, टैक्स रिटर्न में एड्रेस वेरिफिकेशन, स्कूल-कॉलेज में एडमिशन, बैंक अकाउंट खोलने और कूरियर सेवाओं को भी लाभ होगा। साथ ही यह फर्जी पते और डुप्लिकेट रजिस्ट्रेशन जैसी समस्याओं को भी कम करेगा।

भविष्य में जब यह प्रणाली पूरी तरह लागू हो जाएगी, तो डिजिटल एड्रेस एक मुख्य पहचान का हिस्सा बन सकता है, ठीक वैसे ही जैसे आज आधार या मोबाइल नंबर है।

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