असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने हाल ही में घोषणा की है कि राज्य में आधार कार्ड के नए आवेदकों के लिए एनआरसी (NRC) आवेदन रसीद संख्या (ARN) अनिवार्य होगी। यह कदम राज्य में अवैध विदेशियों की घुसपैठ को रोकने और नागरिक पहचान प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “असम में आधार बनवाना आसान नहीं होगा।”
जनसंख्या से अधिक आवेदन
गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान शर्मा ने बताया कि आधार कार्ड के लिए आवेदनों की संख्या राज्य की जनसंख्या से अधिक हो गई है। यह स्थिति संदिग्ध नागरिकों की उपस्थिति का संकेत देती है। इसी के समाधान के रूप में एनआरसी आवेदन रसीद संख्या की अनिवार्यता लागू की गई है। हालांकि, यह नियम उन 9.55 लाख व्यक्तियों पर लागू नहीं होगा जिनके बायोमेट्रिक्स एनआरसी प्रक्रिया के दौरान लॉक किए गए थे। इन व्यक्तियों को उनके आधार कार्ड सीधे मिल जाएंगे।
अवैध विदेशियों की पहचान प्रक्रिया में तेजी
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार अवैध विदेशियों की पहचान और निष्कासन प्रक्रिया को तेज करेगी। उन्होंने जानकारी दी कि हाल के महीनों में कई बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया और उन्हें उनके देश लौटाया गया। शर्मा ने बताया कि राज्य की सुरक्षा एजेंसियां इस समस्या को लेकर सतर्क हैं और निगरानी बढ़ाई जा रही है।
घुसपैठ की बढ़ती घटनाएं
राज्य में हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि घुसपैठ की घटनाओं में वृद्धि हुई है। जनवरी 2024 से अब तक असम पुलिस ने कुल 54 घुसपैठियों को पकड़ा है। इनमें से 48 करीमगंज जिले में, 4 बोंगईगांव जिले में, और 2 अन्य को हाफलोंग जीआरपी और धुब्री जिले में गिरफ्तार किया गया। इन घटनाओं ने राज्य सरकार को अवैध प्रवेश रोकने के लिए सख्त कदम उठाने पर मजबूर किया है।
असम सरकार की नई नीति के प्रभाव
असम सरकार की यह नई नीति न केवल आधार प्रक्रिया को मजबूत करेगी, बल्कि राज्य में अवैध विदेशियों की पहचान को भी आसान बनाएगी। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की सुरक्षा और नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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