परमानेंट अकाउंट नंबर या पैन भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से टैक्सपेयर्स, के लिए एक अनिवार्य पहचान साधन है। पैन एक 10-अंकों की अल्फान्यूमेरिक संख्या है जिसे आयकर विभाग द्वारा आवंटित किया जाता है। पैन कार्ड, जिसमें व्यक्ति का नाम, जन्म तिथि, पिता या पति/पत्नी का नाम, और फोटो शामिल होता है, पहचान और जन्म तिथि के प्रमाण के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या एक से अधिक पैन रखना वैध है?
आयकर अधिनियम की धारा 139ए (7) स्पष्ट रूप से कहती है कि कोई भी व्यक्ति या यूनिट नई सीरीज के तहत एक से अधिक पैन के लिए आवेदन नहीं कर सकता और न ही इसे रख सकता है। यदि किसी के पास एक से ज्यादा पैन पाए जाते हैं, तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा। हालांकि, एक ही पैन नंबर की दो फिजिकल कॉपी रखना अवैध नहीं है; इसे डुप्लिकेट कॉपी माना जाता है।
एक से अधिक पैन रखने पर जुर्माना
यदि किसी के पास एक से अधिक पैन कार्ड पाए जाते हैं, तो आयकर अधिनियम की धारा 272बी के तहत 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। मूल्यांकन अधिकारी इस जुर्माने का निर्धारण करते हैं। हालांकि, कानून उल्लंघनकर्ताओं को खुद का पक्ष रखने का अवसर भी प्रदान करता है।
पैन का महत्व और उपयोगिता
पैन टैक्सपेयर्स के लिए अनिवार्य है क्योंकि यह सभी वित्तीय लेनदेन का मुख्य आधार है। चाहे वह टैक्स भुगतान हो, टैक्स रिफंड का दावा हो, या आयकर विभाग के साथ किसी भी प्रकार का संवाद—पैन कार्ड हर जगह आवश्यक है। आयकर विभाग ने पैन को आधार के साथ लिंक करने की भी सिफारिश की है, जिससे टैक्सपेयर्स का डेटा अधिक संरक्षित और सटीक बन सके।
पैन कार्ड न केवल टैक्सपेयर्स के लिए बल्कि सभी वित्तीय गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसे सही और वैध तरीके से उपयोग करना आवश्यक है। एक से अधिक पैन कार्ड रखना न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि इससे वित्तीय पेनाल्टी का भी सामना करना पड़ सकता है।