भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार कार्ड से जुड़े फर्जीवाड़े पर सख्त कदम उठाते हुए 6 लाख से अधिक फर्जी आधार कार्ड रद्द कर दिए हैं। यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर, ने हाल ही में संसद में दी। उन्होंने बताया कि UIDAI लगातार डुप्लिकेट और फर्जी आधार कार्डों पर कार्रवाई कर रहा है, जिससे देश में हो रहे इस तरह के मामलों पर लगाम लगाई जा सके।
फर्जी आधार कार्ड का बढ़ता खतरा
आधार कार्ड आज के समय में नागरिकता की पहचान के रूप में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक बन गया है। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने, नौकरी प्राप्त करने, या अन्य सेवाओं के लिए पहचान प्रमाणपत्र की मांग की जाती है, तो आधार कार्ड अनिवार्य हो गया है। लेकिन जैसे-जैसे इसकी अनिवार्यता बढ़ी है, वैसे-वैसे डुप्लिकेट आधार कार्ड बनाने के मामले भी बढ़ने लगे हैं। UIDAI ने अब तक लाखों फर्जी आधार कार्ड रद्द किए हैं, जो इस बढ़ते खतरे की गंभीरता को दर्शाता है।
फर्जी वेबसाइटों पर कार्रवाई
UIDAI ने न केवल फर्जी आधार कार्डों पर कार्रवाई की है, बल्कि आधार सेवाओं का दावा करने वाली कई फर्जी वेबसाइटों को भी नोटिस भेजे हैं। इन वेबसाइटों ने बिना किसी अधिकृत अनुमति के आधार से संबंधित सेवाएं देने का दावा किया था। UIDAI ने इन वेबसाइटों को चेतावनी देते हुए उनकी सेवाओं पर रोक लगा दी है। यह कदम डिजिटल युग में बढ़ते फर्जीवाड़े को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
चेहरे से होगा आधार वेरिफिकेशन
नकली आधार कार्ड बनाने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए UIDAI ने आधार वेरिफिकेशन प्रक्रिया में नया फीचर जोड़ा है। अब वेरिफिकेशन के लिए व्यक्ति के चेहरे का भी उपयोग किया जाएगा, जो पहले फिंगरप्रिंट और आई स्कैन तक ही सीमित था। इस तकनीक का उपयोग न केवल आधार वेरिफिकेशन के लिए बल्कि पेंशन वेरिफिकेशन जैसी अन्य सेवाओं के लिए भी किया जा रहा है। अब तक एक लाख से अधिक पेंशनधारकों को इस तकनीक से वेरिफाई किया जा चुका है।
UIDAI की यह सख्त कार्रवाई न केवल फर्जी आधार कार्डों पर रोक लगाने में मदद करेगी, बल्कि नागरिकों के डेटा की सुरक्षा को भी मजबूत करेगी। सरकार की इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि आधार कार्ड का उपयोग सही और वैध रूप से हो, और फर्जीवाड़े पर रोक लगे।