
अब पहचान सत्यापित करने के लिए लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से गुजरने की जरूरत नहीं होगी। केंद्र सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि निजी संस्थाओं के मोबाइल ऐप में आधार-सक्षम फेस ऑथेंटिकेशन (Face Authentication) को इंटीग्रेट करने की मंजूरी दी गई है, जिससे ग्राहकों को सेवाओं तक पहुंचने में आसानी होगी। यह पहल इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) द्वारा शुरू किए गए ‘आधार गुड गवर्नेंस’ पोर्टल के माध्यम से संचालित होगी और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत लागू की जाएगी।
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आधार गुड गवर्नेंस पोर्टल का शुभारंभ
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव एस कृष्णन ने आधार गुड गवर्नेंस पोर्टल का शुभारंभ किया, जिसमें यूआईडीएआई (UIDAI) के सीईओ भुवनेश कुमार और एनआईसी (NIC) के महानिदेशक इंद्र पाल सिंह सेठी मौजूद थे। कृष्णन ने कहा कि इस पोर्टल के लॉन्च से सुशासन और जीवन की सुगमता के लिए उपयोग के मामलों में तेजी आने की उम्मीद है।
सरकारी बयान के अनुसार, यह पोर्टल प्रमाणीकरण चाहने वाली संस्थाओं के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा और उन्हें आधार प्रमाणीकरण के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) प्रदान करेगा। साथ ही, फेस ऑथेंटिकेशन की सुविधा निजी संस्थाओं के ऐप्स में भी एकीकृत की जा सकती है, जिससे कहीं भी और कभी भी सत्यापन किया जा सकेगा।
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सुव्यवस्थित प्रक्रिया और विस्तारित पहुंच
मंत्रालय ने आधार प्रमाणीकरण अनुरोधों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से इस पोर्टल की शुरुआत की है। इस पहल से निजी संस्थाओं को विशिष्ट पहचान सत्यापन तंत्र तक आसान पहुंच प्राप्त होगी।
सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, आधार प्रमाणीकरण के दायरे का विस्तार होने से आम नागरिकों को परेशानी-मुक्त सेवाओं तक तेजी से पहुंच मिलेगी। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म swik.meity.gov.in के जरिए यह प्रक्रिया अब अधिक प्रभावी होगी और इसे सामाजिक कल्याण, नवाचार और ज्ञानवर्धन जैसे उद्देश्यों के लिए विकसित किया गया है।
31 जनवरी को नियमों में हुआ बदलाव
31 जनवरी 2025 को सरकार ने आधार अधिनियम में एक महत्वपूर्ण संशोधन अधिसूचित किया, जिससे निजी संस्थाओं को भी अपनी सेवाओं में आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने की अनुमति मिल गई।
सरकार ने बताया कि यह नया संशोधन आधार संख्या धारकों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे आतिथ्य (Hospitality), स्वास्थ्य सेवा (Healthcare), क्रेडिट रेटिंग ब्यूरो (Credit Rating Bureau), ई-कॉमर्स (E-Commerce), शैक्षणिक संस्थानों (Educational Institutions) और एग्रीगेटर सेवा प्रदाताओं (Aggregator Service Providers) से परेशानी-मुक्त सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
सेवा प्रदाता अब इस तकनीक का उपयोग कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने, ग्राहक ऑनबोर्डिंग, ई-केवाईसी (e-KYC) सत्यापन, परीक्षा पंजीकरण और अन्य प्रक्रियाओं में कर सकेंगे। इस पहल से डिजिटल सेवाओं की पहुंच और दक्षता में उल्लेखनीय सुधार आएगा।
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