आधार कार्ड (Aadhaar card) आज के समय में भारत के हर नागरिक के लिए जरूरी दस्तावेज बन गया है। वैक्सिनेशन से लेकर बैंकिंग तक, आधार कार्ड की अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने कुछ सेवाओं के लिए आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी है।
सरकार द्वारा जारी नई अधिसूचना के अनुसार, अब पेंशनर्स को अपने जीवन प्रमाणपत्र (Life Certificate) दाखिल करने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता से छूट दी गई है। इसके साथ ही, सरकारी कर्मचारियों के लिए संदेस (Sandes) ऐप और बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में भी आधार का उपयोग अब स्वैच्छिक कर दिया गया है।
पेंशनर्स को जीवन प्रमाणपत्र के लिए राहत
पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाणपत्र जमा करना हर साल की बड़ी चुनौती होती थी। आधार बायोमेट्रिक अपडेट में गड़बड़ियों के चलते कई पेंशनर्स को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता था। अब, सरकार ने इसे अनिवार्य से स्वैच्छिक कर दिया है। यानी कि पेंशनर्स अपनी मर्जी से आधार की जानकारी दे सकते हैं।
इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा उन पेंशनर्स को होगा जिनके आधार में तकनीकी समस्या है या जो शारीरिक रूप से इसे अपडेट कराने में सक्षम नहीं हैं। अब उन्हें जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए दूसरे विकल्प उपलब्ध होंगे, जिससे उनका समय और ऊर्जा बचेगी।
संदेस ऐप और बायोमेट्रिक्स पर भी छूट
सरकारी कर्मचारियों के लिए संदेस ऐप, जो सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए उपयोग होता है, के लिए आधार की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई है। संदेस ऐप एक इंस्टैंट मैसेजिंग सॉल्यूशन है, लेकिन इसके उपयोग के लिए अब आधार वैरिफिकेशन जरूरी नहीं रहेगा।
इसी तरह, सरकारी कार्यालयों के बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में भी आधार की अनिवार्यता को हटाकर इसे स्वैच्छिक कर दिया गया है। इससे उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी जिनके आधार डेटा में त्रुटियां हैं।
अधिसूचना में अस्पष्टता का सवाल
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 18 मार्च को अधिसूचना जारी कर इन बदलावों की जानकारी दी। हालांकि, इस फैसले को लेकर अभी भी कुछ अस्पष्टताएं बनी हुई हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि जीवन प्रमाणपत्र के लिए आधार का उपयोग स्वैच्छिक होगा, लेकिन इसके वैकल्पिक तरीकों को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं।