वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करना है जरूरी? सरकार ने संसद में दिया जवाब

सरकार ने संसद में बताया कि वोटर आईडी को आधार से लिंक तैयारियां चल रही हैं। लिंक न करने पर मतदाता सूची से नाम नहीं हटेगा।

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By Nishant
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वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करना है जरूरी? सरकार ने संसद में दिया जवाब

वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक (Voter card Aadhar Card Link) करने की प्रक्रिया को लेकर कई चर्चाएं हो रही हैं। इसके पीछे सरकार का क्या मकसद है और इसके क्या फायदे हैं। इस मुद्दे पर संसद में भी सवाल उठाया गया, और इसका जवाब केंद्रीय कानून मंत्री ने दिया। आइए जानते हैं।

सरकार का लिखित जवाब

राज्यसभा में एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री बताया कि अभी तक वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू नहीं हुई है। हालांकि, सरकार की तरफ से इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए तैयारियां चल रही हैं, लेकिन इसके लिए कोई निर्धारित समयसीमा (टाइमलाइन) तय नहीं की गई है।

क्या होगा अगर आधार से लिंक नहीं किया?

कानून मंत्री ने यह भी साफ किया कि अगर कोई मतदाता अपने वोटर आईडी को आधार से लिंक नहीं करता है, तो भी उसके नाम को मतदाता सूची से हटाया नहीं जाएगा। यानी आधार से लिंक न करने पर किसी भी तरह की अनिवार्यता या दंड का प्रावधान नहीं है।

सरकार ने यह भी जानकारी दी है कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से लिंक करने की प्रक्रिया स्वैच्छिक है, और इसके लिए कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा।

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कानून में संशोधन के बाद उठाया गया कदम

वोटर आईडी और आधार कार्ड को जोड़ने की योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि एक व्यक्ति का नाम कई जगहों की मतदाता सूची में दर्ज होने की संभावना को कम किया जा सके। इसके लिए संसद में “इलेक्शन लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट 2021” के जरिए कानून में संशोधन किया गया था।

आधार कार्ड लिंक करने का उद्देश्य

वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया जा सके और डुप्लिकेट मतदाताओं को रोका जा सके। इस प्रक्रिया के जरिए चुनाव आयोग को वोटरों की पहचान सत्यापित करने में मदद मिलेगी, जिससे गलत मतदान और फर्जी मतदाताओं की संख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा।

सरकार ने अभी तक वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है, लेकिन यह पहल चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य चुनावी पारदर्शिता को बढ़ाना है, और यह सरकार द्वारा फर्जी मतदान रोकने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है।

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