AI से बने फर्जी आधार कार्ड! आपकी पहचान खतरे में, एक्सपर्ट्स की बड़ी चेतावनी

ChatGPT और GPT-4o जैसे AI टूल्स से नकली पहचान पत्र तैयार करना अब पहले से आसान हो गया है। जानिए कैसे ये दस्तावेज आपके नाम पर हो सकते हैं इस्तेमाल और कैसे करें खुद को इस खतरनाक साइबर फ्रॉड से सुरक्षित!

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By Nishant
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AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने जहां एक ओर तकनीकी दुनिया को तेजी से आगे बढ़ाया है, वहीं इसके दुरुपयोग से अब व्यक्तिगत पहचान जैसे आधार कार्ड तक खतरे में आ गए हैं। हाल ही में यह सामने आया है कि AI टूल्स की मदद से फर्जी आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं, जो हूबहू असली जैसे दिखाई देते हैं। इन कार्ड्स का इस्तेमाल फाइनेंशियल फ्रॉड, KYC धोखाधड़ी और पहचान की चोरी जैसे गंभीर अपराधों में किया जा सकता है।

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ChatGPT और इमेज जनरेशन टूल्स से बन रहे फर्जी दस्तावेज

ChatGPT जैसे AI टूल्स का इस्तेमाल अब केवल संवाद तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इनके इमेज जनरेशन फीचर्स के ज़रिए अब जालसाज नकली पहचान पत्र भी बना रहे हैं। GPT-4o जैसे उन्नत मॉडल्स में यह क्षमता आ चुकी है कि वह व्यक्ति की फोटो, नाम, जन्मतिथि और पता जैसे विवरणों को जोड़कर एक असली जैसे दिखने वाला आधार कार्ड बना सकते हैं। यही नहीं, इन कार्ड्स में QR कोड भी ऐड कर दिए जाते हैं जो स्कैन करने पर असंबंधित या जाली डाटा दिखाते हैं।

फर्जी दस्तावेजों से बढ़ती धोखाधड़ी की घटनाएं

AI से बने इन नकली दस्तावेजों की वजह से कई साइबर फ्रॉड की घटनाएं सामने आ रही हैं। फर्जी पहचान का उपयोग करके बैंक अकाउंट खुलवाना, लोन लेना, मोबाइल सिम प्राप्त करना या किसी अन्य व्यक्ति की जगह सरकारी सब्सिडी या सुविधा उठाना अब आसान हो गया है। यही कारण है कि एक्सपर्ट्स इसे भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा मान रहे हैं।

आधार कार्ड की सत्यता पर उठने लगे हैं सवाल

AI से बन रहे इन दस्तावेजों ने अब वास्तविक और नकली के बीच अंतर को लगभग मिटा दिया है। बहुत से मामलों में आम व्यक्ति तो छोड़िए, प्रोफेशनल्स भी अंतर नहीं कर पा रहे कि कौन सा दस्तावेज असली है और कौन सा नहीं। ऐसे में UIDAI की वेबसाइट पर जाकर QR कोड स्कैन करने या आधार नंबर की वैधता जांचने की प्रक्रिया ही सबसे विश्वसनीय तरीका रह गया है।

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एक्सपर्ट्स की चेतावनी और जरूरी कदम

कई साइबर एक्सपर्ट्स और डिजिटल सिक्योरिटी फर्म्स ने चेतावनी दी है कि अगर इस पर समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए तो AI का यह दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि AI टूल्स के इस्तेमाल को रेगुलेट किया जाए और ऐसे किसी भी कंटेंट पर डिजिटल वॉटरमार्किंग अनिवार्य की जाए। इसके अलावा, दस्तावेजों की सत्यता की जांच के लिए नई टेक्नोलॉजी जैसे Vastav AI को व्यापक स्तर पर लागू करने की जरूरत है।

सरकारी एजेंसियां भी हुईं अलर्ट

UIDAI, CERT-In और साइबर क्राइम यूनिट जैसी संस्थाएं अब ऐसे मामलों पर बारीकी से नजर रख रही हैं। सरकार OpenAI जैसे प्लेटफॉर्म्स से भी संपर्क कर रही है ताकि भारत में AI जनित फर्जी दस्तावेजों को रोका जा सके। इसके तहत यूज़र्स को यह जानकारी देना अनिवार्य किया जा सकता है कि वे किस टूल से डॉक्यूमेंट बना रहे हैं और क्या वह वैध है या नहीं।

सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव

AI के बढ़ते दखल को रोकना आसान नहीं है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है। अगर आपको कोई संदिग्ध पहचान पत्र मिले, तो उसकी तुरंत वैधता जांचें और आवश्यक हो तो संबंधित अधिकारियों को सूचित करें। कभी भी अपनी पहचान या दस्तावेज किसी अज्ञात ऐप या वेबसाइट पर अपलोड न करें, खासकर बिना भरोसे वाले लिंक पर क्लिक कर के।

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