
सिर्फ Aadhaar Card ने करोड़ों भारतीयों की जिंदगी बदल दी है। सरकार द्वारा जारी यह 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या न केवल आपकी पहचान साबित करती है, बल्कि यह तमाम सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और सुविधाओं की चाबी बन चुकी है। डिजिटल इंडिया के इस युग में आधार ने सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता और गति को नई दिशा दी है।
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सरकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता
सरकार ने अनेक योजनाओं में आधार को अनिवार्य कर दिया है, जैसे मनरेगा, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और राशन वितरण प्रणाली (PDS)। आधार कार्ड के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान पक्की होती है, जिससे डुप्लीकेट और फर्जी लाभार्थियों को हटाया जा सका है। इससे करोड़ों लोगों तक सीधे लाभ पहुँचा है।
DBT में आधार की भूमिका
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी DBT की शुरुआत आधार से जुड़े बैंक खातों के कारण ही सफल हो पाई है। अब सब्सिडी, छात्रवृत्ति, पेंशन जैसे लाभ सीधे लाभार्थियों के खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं। इससे बिचौलियों और भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। आधार सीडिंग यानी बैंक खाते को आधार से जोड़ना अनिवार्य है, तभी DBT का लाभ लिया जा सकता है।
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डिजिटल भुगतान और बैंकिंग सेवाओं में विस्तार
आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे प्लेटफॉर्म्स ने डिजिटल लेन-देन को घर-घर तक पहुंचाया है। विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में अब लोग सिर्फ अंगूठा लगाकर बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। यह आर्थिक समावेशन-Financial Inclusion का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है।
राजस्थान की जन आधार योजना की मिसाल
राजस्थान सरकार की “जन आधार” योजना, आधार से प्रेरित एक नई डिजिटल पहल है। इसका मकसद राज्य के निवासियों को एक ही नंबर से सभी सरकारी सेवाएं देना है। “एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान” के नारे के साथ इस योजना ने राज्य में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को और तेज कर दिया है। जन आधार कार्ड अब राशन, पेंशन और छात्रवृत्ति तक की सीधी चाबी बन चुका है।
गांवों में क्रांति की शुरुआत
गांवों में जहां कभी बैंकिंग सेवाएं नहीं पहुंचती थीं, वहां अब आधार की मदद से लोग खाते खुलवा रहे हैं, पेंशन ले रहे हैं और मोबाइल से लेन-देन कर रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ एक कार्ड की बदौलत आया है। आधार कार्ड ने न केवल पहचान दी, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम भी दिया।
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