आधार से जुड़े अपराध पर कड़ी सजा! जानें ₹1 लाख जुर्माने और जेल का सच

आधार कार्ड आज हर भारतीय नागरिक की पहचान और पते का प्रतीक है। लेकिन इससे जुड़े फर्जीवाड़ों के कारण सरकार ने कड़े दंड तय किए हैं। इसे सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है।

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By Nishant
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आधार से जुड़े अपराध पर कड़ी सजा! जानें ₹1 लाख जुर्माने और जेल का सच

आधार कार्ड आज भारत में पहचान और पते के प्रमाण के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया गया 12 अंकों का आधार नंबर, हर नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या है। यह न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में सहायक है, बल्कि इसे बैंकिंग, मोबाइल कनेक्शन और अन्य सेवाओं में भी उपयोग किया जाता है। आधार कार्ड का उपयोग इंडिया पोस्ट द्वारा भेजे गए भौतिक कार्ड और UIDAI की वेबसाइट से डाउनलोड किए गए ई-आधार दोनों के रूप में मान्य है।

आधार से जुड़े अपराध और सजा

आधार से जुड़े अपराधों को रोकने और इसे सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय कानून के तहत कई प्रावधान किए गए हैं। इनमें निम्नलिखित प्रमुख अपराध और उनके लिए दंड शामिल हैं:

फर्जी जानकारी देकर आधार बनाना

आधार बनवाते समय गलत बायोमेट्रिक या जनसांख्यिकीय जानकारी देना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर दोषी को 3 साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं।

पहचान बदलने का प्रयास

आधार कार्ड धारक की बायोमेट्रिक या जनसांख्यिकीय जानकारी में छेड़छाड़ कर उसकी पहचान बदलने का प्रयास एक गंभीर अपराध है। इसके लिए 3 साल तक की कैद और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

फर्जी एजेंसी बनकर जानकारी एकत्रित करना

अगर कोई व्यक्ति या संस्था आधार नामांकन या प्रमाणीकरण के लिए अधिकृत एजेंसी होने का दिखावा करती है, तो यह एक दंडनीय अपराध है। दोषी पाए जाने पर 3 साल की जेल, 10,000 रुपये का जुर्माना, या कंपनियों के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

डेटा का अनधिकृत उपयोग

आधार नामांकन या प्रमाणीकरण के दौरान जुटाई गई जानकारी को अनधिकृत व्यक्तियों को प्रदान करना या इसका दुरुपयोग करना अपराध है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना या किसी कंपनी के लिए 1 लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

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केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजिटरी तक अनधिकृत पहुंच

CIDR तक अनधिकृत पहुंच या डेटा हैकिंग को UIDAI ने गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा है। दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

डेटा छेड़छाड़

CIDR में संग्रहीत डेटा के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करना अपराध है। इसके लिए 10 साल तक की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

पहचान जानकारी का दुरुपयोग

किसी व्यक्ति की पहचान संबंधी जानकारी का गलत इस्तेमाल करना या इसका व्यापार करना भी अपराध है। इसमें दोषी पाए जाने पर 3 साल की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना या कंपनियों के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।

अन्य अपराध

अगर कोई अपराध किया जाता है जिसके लिए आधार अधिनियम में अलग से कोई प्रावधान नहीं है, तो व्यक्ति को 3 साल की जेल और 25,000 रुपये तक का जुर्माना या कंपनी को 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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